मानव जीवन की नियति
हेलो दोस्तों, कैसे हैं आप सभी?
नए वर्ष में नए-नए रिजोलूशन्स तो हम सभी ने लिए ही होंगे, लेकिन सभी का सार कमोबेश एक ही होगा कि आखिर जीवन को सरल और सफल कैसे बनाया जाये, क्यों?😊
क्या आपको नहीं लगता कि सत्य-असत्य, सही-गलत, सच और झूठ के पचड़े से हमारा निकलना अत्यंत आवश्यक है। क्योंकि जिंदगी को आखिर किसी फिलॉसफी के बुक की तरह तो नहीं जीया जा सकता, जैसे- कुछ भी ना तो सही है, ना ही गलत… वगैरह-वगैरह।
आगे बढ़ने के लिए हम सभी को “एक नाव” पर तो चढ़ना ही होगा, वरना जिंदगी उसी बीच मझधार में गोते खाते-खाते विलीन हो जाएगी, किंतु सही रास्ता मिलना कठिन हो जाएगा। कहीं न कहीं तो जान लगानी ही होगी।
फिर सवाल यह उठता है कि “वह रास्ता, जिसे अधिकतम लोग सही बताते हैं, वह सही ही है, इसकी क्या गारंटी है?”
सच कहूं तो कोई गारंटी नहीं है। 😊 लेकिन फिर भी किसी एक बिंदु से यात्रा प्रारंभ तो करनी ही पड़ेगी न, क्योंकि जिंदगी जीने के दो ही तरीके हैं- या तो निष्कर्म हो जाईये और हर चीज़ के लिए किश्मत को ज़िम्मेदार मान लीजिये। या फिर, उठिये, लड़िये और अपनी किश्मत को खुद से डिज़ाइन करने की कोशिश कीजिये। होना न होना, ये तो नियति है ही, जिसे आप मान ही रहे हैं। लेकिन कोशिश भी न करना, ये तो बिना कुछ किये ही हारने, या खुद को सरेंडर करने जैसा है।
स्वाभाविक है कि जिंदगी को जीने का दूसरा तरीका ही सर्वोत्तम है। पूरी-की-पूरी साइंस आज E=mc^2 पर आधारित है। यदि अतीत में इसे भी सही नहीं माना गया होता, तो शायद उसी बिंदु पर हम आज भी लटके होते। किंतु, हमने हिम्मत दिखाई और उसे सत्य मानकर आगे कदम बढ़ाया और दुनिया जीती। और कल यदि इसमें भी कुछ नए संशोधन करने की आवश्यकता महसूस होगी, तो उसे भी स्वीकार कर आगे की यात्रा प्रारंभ की जाएगी, यही तो जिंदगी है। अपने जीवन को एक लक्ष्य देना और उसे हासिल करने हेतु हमेशा प्रयासरत रहना और हमेशा आगे बढ़ते रहना, अपने विवेक के साथ तथा कुछ अच्छे और पुख्ता विचारों के साथ, जो तर्क व मानवता की कसौटी पर खरी उतरती हो।
“स्वयं” का सर्वोत्कृष्ट एवं बहुआयामी विकास ही मानव जीवन का परम लक्ष्य है। इसलिए विचारों में दृढ़ता एवं एकरूपता अति आवश्यक है। हर असंभव प्रतीत होने वाले कार्य समय के साथ धीरे-धीरे सफल होते नजर आते हैं। ऐसे में जरूरत है तो सिर्फ अपने सच्चे और अच्छे विचारों के साथ दृढ़ता से खड़े होकर आगे बढ़ने की, सफलता आपके कदम अवश्य चूमेगी।
धन्यवाद!
सत्यम